देवास। 31 अगस्त को निगम ने मराठा समाज अध्यक्ष एवं धरोहर बचाओ आंदोलन के संयोजक प्रमोद जाधव की कृषि भूमि पर नगर निगम द्वारा कुर्की की करवाई की गई। ज्ञात रहे की प्रमोद शरदचंद्र जाधव देवास की धरोहर बचाने के लिए गत दो वर्षो से शासन से गुहार लगा रहे है, एवं मल्हार स्मृति मंदिर, कलेक्ट्रेट कार्यलय को बचाने व पूर्व में सयाजी द्वार के सामने से जाने वाले ओवर ब्रिज के विरोध में उच्च न्यायलय में पिटीशन लगाई है।
यह मामला डायवर्टेड कृषि भूमि पर लगे 40 लाख रुपए के संपत्तिकर को लेकर था जिसपर वास्तविकता में नियम अनुसार संपत्तिकर लागू नहीं होता है जब तक भूमि शासन के नियम अनुसार आवासी भूमि में परिवर्तित ना हो। जिसकी आपत्ति प्रार्थी ने माननीय उच्च न्यायालय में ली थी। यह मामला माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन था उसके बावजूद निगम द्वारा कुर्की की ताबड़ तोड़ कार्यवाही आवेधानिक है । कोरॉना काल में सरकार ने किसी भी प्रकार के तोड़ फोड़ एवं कुर्की की कार्यवाही पर रोक लगाई है , निगम ने इस नियम का भी उलंघन किया है। 1 सितंबर को माननीय उच्च न्यायलय में पिटीशन सुनी गई एवं माननीय न्यायाधीश सुबोध अभ्यंकर की बेंच ने निगम द्वारा की गई कुर्की को अवैधानिक करार कर उसे खारिज किया व निगम को आदेश दिए की प्रार्थी के उठाए गए संपति कर नही लगने के 8 पन्नो के जवाब का न्याय के अनुरूप जवाब दे व जब तक इसका फैसला नहीं हो जाता निगम जमीन पर कोई भी शक्ति का प्रयोग नही करेगा। माननीय उच्च न्यायालय का फैसला आम जनता के पक्ष में रहा परंतु निगम की कार्यवाही लोक तंत्र के मूल्यों के विरुद्ध तानाशाही की मिसाल है। नियमो की अज्ञानता आम जनता के लिए परेशानी का कारण है। निगम की कुर्की की अवैधानिक कार्यवाही से समाज में आम जन की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के द्वेष पूर्ण कार्यवाही की निंदा होनी चाहिए।
माननीय उच्च न्यायलय ने निगम की कुर्की को खारिज कर अवैधानिक करार दिया
