देवास। देवास मध्य प्रदेश में औधोगिक क्षैत्र हेतु विशेष पहचान रखता है। यहां पर राष्ट्रीय स्तर की कई इकाई एवं कुछ अंतर्राष्ट्रीय स्तर की इकाई भी कार्यरत है। इसके अतिरिक्त कई मंझलें और छोटी इकाई यहां स्थापित हे। धार जिले के पीतमपुर औद्योगिक क्षेत्र विकसित होने के पूर्व, देवास मध्य प्रदेश में चुनिंदा औधोगिक नगरी के रूप में गिना जाता था। और जहां पर भी औधोगिक क्षैत्र विकसित होते हैं, वहां पर निशित रूप से, उक्त नगरों का विकास तेजी से होता है, एवं कई लोगों को रोजगार प्राप्त होता है, वही व्यवसायिक गतिविधियां भी तेजी से विकसित होती है, इन सब कामों अतिरिक्त पर्यावरणीय स्थिति में भी बदलाव होते हैं, याने पर्यावरण को क्षति पहुंचती है। इसीलिए औधोगिक इकाइयों से उत्पन्न होने वाले, जलीय, एवं वायु प्रदूषण जैसे दुष्परिणामों, पर राज्य शासन एवं केंद्र शासन से संबंधित विभागों द्वारा निरंतर (मानीटरीग) निगरानी की जाती है। और संबंधित विभाग समय समय पर ऐसी इकाईयों को चिन्हित कर, शासन के द्वारा औधोगिक इकाइयों हेतु बनाए गए दिशा निर्देशों का पालन करने हेतु प्रेरित करते रहते हैं।
शिप्रा शुद्धीकरण हेतु जिला प्रशासन एवं मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड देवास का निरंतर प्रयास जारी है।
औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाली नाग्धमन नदी में कुछ औद्योगिक इकाइयों के द्वारा अपना दूषित पानी नदी में प्रवाहित करने की सूचना जिला प्रशासन एवं मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड देवास को प्राप्त होती रहती थी, इस हेतु कलेक्टर श्री गुप्ता द्वारा जिला स्तर पर इस समस्या के निगरानी हैतू समिति घटित की गई, एवं मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय उज्जेन के द्वारा भी अपने विभाग के देवास जिला अधिकारी को सतत निगरानी हैतू निर्देशित किया गया, दोनों ही टीमों के सतत मॉनिटरिंग एवं निरंतर जांच करते हुए, कई औद्योगिक इकाइयों में जांच की गई, एवं कुछ औद्योगिक इकाइयों के पंचनामे तक बनाएं गए, जिसका असर यह हुआ कि नाग्धमन नदी में आने वाले दूषित पानी की मात्रा काफी हद तक कम हो गई। जिला प्रशासन एवं मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निरंतर निगरानी की वजह से शिप्रा शुद्धिकरण की मुहिम को गति मिली है।
औद्योगिक इकाइयों के द्वारा बाॅयलर में उपयोग किए जाने वाले इंधनों में इकाइयों द्वारा स्वयं संज्ञान लेकर परिवर्तन करना चाहिए़।
औद्योगिक इकाइयों द्वारा बॉयलर में अभी वायु प्रदूषण फैलाने वाले इंधनों का उपयोग किया जाता है? जैसे फर्निश तेल, राइस ब्रैकेट, जो की भूसे एवं मिट्टी से तैयार किए जाते हैं, इसके अतिरिक्त शायद कोयला भी कुछ औद्योगिक इकाइयां उपयोग कर रही है। जो औद्योगिक इकाइयां बाॅयलरो का इस्तेमाल कर रही है, उन इकाइयों के द्वारा स्वयं संज्ञान लेकर, नेचरल गैस का उपयोग बॉयलरो में करना चाहिए, जिससे कि वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी, अभी वर्तमान में जिन इकाइयों के द्वारा बॉयलर हेतु उपयोग में लिए जा रहे, ईंधन परिवर्तन हेतु मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय के द्वारा उक्त इकाइयों से पत्र के माध्यम से निवेदन किया जा रहा है, वह नेचरल गैस का उपयोग करें।
अभी इतनी इकाइयां कर रही है नेचुरल गैस का उपयोग।
औद्योगिक क्षेत्र क्रमांक 1, 2, 3, एवं उज्जैन रोड औद्योगिक क्षेत्रों में तकरीबन 30 औद्योगिक इकाइयां हैं जो की नेचरल गैस का उपयोग कर रही है।