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भूजल स्तर बढ़ाने हेतु अपनाने होंगे वैकल्पिक तरीके।

ByLalit Chavhan

Apr 20, 2024

 देवास। विकास अपने साथ कुछ दुष्परिणाम भी लेकर आता है, तेजी से बढ़ते शहरीकरण के कारण कंक्रीट नुमा जंगल तेजी से बढ़ रहे हैं। जिसके कारण वर्षाकालीन पानी को संचित करने वाली जमीन घटती जा रही है, परिणाम स्वरूप तेजी से भूजल स्तर घटता जा रहा है, भविष्य में गंभीर जल संकट से बचने के लिए हम सबको मिलकर जल संचय के वैकल्पिक उपायो  पर कार्य करने की आवश्यकता है। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है  वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को हमें अपने घरों पर लगाने की आवश्यकता है।हमारे क्षेत्र में ओसत 1000से 900 मिली मीटर वर्षा होती है, और एक हजार स्क्वेयर फीट की छत पर करीब करीब 95000 हजार लीटर, वर्षा जल हम इक्कठा कर सकते है, और अगर किसी एक रिहायशी क्षेत्र में सभी लोग स्वयं स्वतः संज्ञान लेते हुवे अगर अपने अपने घर की छत का वर्षा जल एकत्र कर या तो जमीन के नीचे बने किसी टैंक में उतारें या फिर घर के निकट किसी भूजल स्त्रोत जैसे बोरवेल,  कुआं, हैंड पंप मैं फिल्टर कर डालें तो भूजल के स्तर में वृद्धि होगी और पानी की समस्या से निजात मिल सकती है। सब करेंगे तो सबको फायदा मिलेगा अगर केवल एक दो लोग यही प्रक्रिया करते हैं तो लाभ सुनिश्चित होने की संभावना कम है। WHO (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजशन) के मुताबिक १० लाख तक की आबादी वाले किसी शहर में प्रति व्यक्ति पानी की प्रतिदिन आवश्यकता करीब ७० लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन होती है, उस हिसाब से ५ लोगो के एक परिवार की ३०० दिन से ज्यादा की आवश्यकता के लिए छत जल  पर्याप्त होगा । अगर छत जल किसी टंकी में संग्रहित किया जा रहा है तो केवल इतना ध्यान रखना है की उस जल का संपर्क सूर्य प्रकाश से न होने पाए, और टैंक के आस पास साफसफाई हो क्योंकि ये जल सबसे प्योर है और सीधे पीने योग्य है। अगर इस जल का सूर्य प्रकाश से संपर्क होगा तो उस जल में काई का निर्माण होगा और जल दूषित हो जायेगा।नब्बे के दशक में हमारे  शहर देवास में पानी ट्रेन से आ चुका है।

जिला प्रशासन की तरफ से देवास जिले को जल अभाव ग्रस्त घोषित किया गया है

पिछले वर्ष कम वर्षा की वजह से पानी का अभाव उत्पन्न हुआ है इस वजह से जिला प्रशासन ने जिले को जल अभाव ग्रस्त घोषित किया है।