कुछ अशासकीय स्कूल संचालकों द्वारा पालकों से ट्यूशन फीस मांगी जा रही है लेकिन इसमें अन्य खर्चे भी शामिल है सरकार ने आदेश दिया है कि निजी स्कूल संचालक मात्र ट्यूशन फीस ले लेकिन कई स्कूलों के द्वारा अन्य खर्चे भी इस में जोड़े जा रहे हैं जबकि स्कूल संचालकों द्वारा मात्र ट्यूशन फीस ली जाना चाहिए निजी स्कूल संचालकों के द्वारा अपने अपने स्तर पर पालकों पर फीस हेतु दबाव बनाना शुरू कर दिया गया है शासन के आदेश का सही तरीके से पालन हो इसके लिए जिला प्रशासन के द्वारा निजी स्कूल संचालकों और पालकों के बीच पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाना चाहिए फीस को लेकर ताकि कहीं निजी स्कूल संचालकों द्वारा ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस तो नहीं ली जा रही है वैश्विक महामारी कोरोना के चलते कई पालकों की नौकरी जा चुकी है जो कि निजी संस्थानों में कार्य कर रहे थे ऐसे में फीस जमा करना उनके लिए संभव नहीं है
क्या शासन के आदेश अनुसार वास्तविक फीस ले रहे हैं निजी विद्यालय
