देवास। नगर में जनसंख्या वृद्धि के साथ तेजी से नई-नई आवासीय कालोनियां विकसित होती जा रही है। जिससे कि पानी की मांग बड़ी है। पानी की मांग बढ़ने के साथ में जलीय प्रदूषण भी बढ़ रहा है। इसीलिए शायद नई आवासीय कॉलोनी को अनुमति देने वाले विभाग उप संचालक नगर तथा ग्राम निवेश के नियमों में भी स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि जो भी नई कॉलोनी विकसित होगी उस कॉलोनी से उत्पन्न होने वाले ठोस अपशिष्ट का प्रबंध पर्यावरणीय दृष्टि से स्थानीय संस्था के मार्गदर्शन पर (STP) हेतु स्थान सुरक्षित करना होगा। जिसका प्रबंधन कॉलोनाइजर द्वारा स्वयं करना होगा। कॉलोनाइजर को अपना खुद का (STP) सिवरेज वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट डालना आवश्यक होगा। वही कॉलोनाइजर को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी अनुमति लेना आवश्यक है। अब यह तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जांच करें कि उनके विभाग से कितने कॉलोनाइजरों के द्वारा अनुमति ली गई है। एवं कितनी नई कॉलोनी में (STP) स्थापित किए गए हैं। जबकि नगर पालीक निगम के द्वारा ही अभी घरेलू दूषित पानी को उपचारित किया जा रहा है। निगम के द्वारा तीन स्थानों पर (STP) स्थापित किए गए हैं जिसमें सर्वोदय नगर का 22 एमएलडी का मेंढकी नंदानगर 14 एमएलडी का वहीं बिलावली में 12 एमएलडी का है।
