देवास।निगम देवास की माली हालत किसी से छुपी नहीं है। निगम देवास के द्वारा शिप्रा नदी पर बांध (डेम) निर्माण कराया गया। ताकि वर्षाकाल के पानी को एकत्रित कर नगर की आम जनता की पानी (जल)आपूर्ति हेतु। भारी भरकम राशि खर्च कर। यहां तक की निगम की अति महत्वाकांक्षी योजना लोधरी परियोजना को भी इसके निर्माण के लिए बंद करना पड़ा। शिप्रा नदी पर बनायें बैराज (डेम) का उपयोग निजी संस्था देवास वाटर प्रोजेक्ट कर रही है। वह भी निशुल्क। निजी संस्था को बैराज का निशुल्क उपयोग करने की अनुमति राज्य शासन के द्वारा दी गई। उसी समय तत्कालीन निगम परिषद एवं निगम प्रशासन के द्वारा इसका विरोध करना चाहिए था। लेकिन नहीं किया गया। उस वक्त देवास के सामाजिक कार्यकर्ता ने परिषद को अवगत कराया था। लेकिन उनके द्वारा इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया गया। जिसके परिणामस्वरुप निगम के द्वारा निर्मित डैम का पानी जोकि वर्षाकाल में उस डैम में एकत्रित किया जाता है। वह पानी समय से कई माह पूर्व ही खत्म हो जाता है। इसकी वजह से निगम देवास को नर्मदा विकास प्राधिकरण से पानी की डिमांड (मांग) दिसंबर माह के अंत या जनवरी माह के पहले हफ्ते से ही करना पड़ती है। जिसकी वजह से निगम देवास पर अवांछित आर्थिक बोज पड़ रहा है। वही निगम देवास बैराज के संधारण पर भी भारी भरकम राशि खर्च करती है। अगर देवास नगर सरकार शासन का यह निर्णय नहीं बदला पाती है। तो शासन से क्षतिपूर्ति की मांग करना चाहिए। की निजी संस्था के पानी लेने की वजह से कई महापूर्वा ही पानी डैम में खत्म हो जाता है। इसकी वजह से हमें पानी की मांग जल्दी करना पड़ती है। जिसका भारी भरकम बिल हमें प्राप्त होता है। बैराज में से निजी संस्था देवास वाटर प्रोजेक्ट के द्वारा पानी लेने की वजह से जितने महापूर्व बैराज में पानी खत्म हुआ एवं निगम के द्वारा नर्मदा विकास प्राधिकरण से जिस दर से पानी खरीदा उस बिल के हिसाब से आकलन कर राज्य शासन से निगम के द्वारा क्षतिपूर्ति की मांग करना चाहिए। साथी निगम सरकार को राज्य शासन से यह भी निवेदन करना चाहिए कि जो नर्मदा विकास प्राधिकरण के द्वारा निगम देवास को पानी का बिल दिया गया है जो की तकरीबन 512 करोड़ से अधिक का है जबकि निगम देवास को नगर से जलकर के रूप में जो राशि प्राप्त होती है वह तकरीबन 7 करोड़ के आसपास ही प्राप्त होती है अतः राज्य शासन निगम देवास को दिए गए बिल को माफ करें। राज्य शासन को समक्षकश उदाहरण देते हुए। की जिस तरह से निगम उज्जैन का बिल माफ किया गया हैं। एवं बिल माफ करने हेतु परिषद में संकल्प पारित कर शासन को देना चाहिए।


 
                                 
                                                                                  	 
                                                                                  	 
                                                                                  	 
                                                                                  	 
                                                                                  	