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विद्युत वितरण कंपनी का उपभोक्ताओं को झटका, उपभोक्ता भी दे सकता है आगामी चुनाव में झटका?

ByLalit Chavhan

Dec 15, 2021

सन 2020 में जब आमजन कोरोना से त्रस्त आर्थिक मार झेल रहा था ,तब वह अपना विद्युत बिल भरने में भी सक्षम नहीं था ,और उपभोक्ताओं की ओर से बिल माफी की लगातार मांग की जा रही थी , तब सरकार ने विद्युत कंपनी के माध्यम से उपभोक्ताओं को भ्रमित करते हुए विद्युत बिलों को माफ न करते हुए बिल स्थगित कर दिए थे, स्थगित किए गए बिलों की वसूली अब 2021 में की जा रही है, तो उपभोक्ता अचंभित है उसके मन में प्रश्न उठ रहा है कि बिल जब माफ कर दिए गए तो बिल वसूल क्यों किए जा रहे हैं, विद्युत वितरण कंपनी की तरफ से उपभोक्ताओं को स्पष्ट रूप से बताया नहीं गया कि उनके बिल माफ नहीं किए जा रहे बल्कि स्थगित किए जा रहे हैं ,जिन्हें बाद में वसूला जाएगा, उस समय बिल स्थगित कर यह दर्शाया गया कि बिल माफ कर दिए गए हैं, और स्वयं की पीठ भी सरकार ने थपथपाई थी वाहवाही भी लूटी थी, लेकिन जब आज आर्थिक रूप से परेशान चल रहे उपभोक्ताओं से स्थगित किए गए बिलों की वसूली की जा रही है तो उपभोक्ता नाराज है, कई उपभोक्ताओं का कहना है कि हमारी दुकान, संस्थान लॉकडाउन में बंद थे, तो हमें विद्युत मंडल ने बिना रीडिंग वाले औसत बिल दिए थे, जिन्हें हम वास्तविक रीडिंग दिखाकर कम करवा सकते थे, लेकिन चूंकि विद्युत मंडल की तरफ से विद्युत बिल माफ करने की प्रक्रिया चल रही थी हमने इस संबंध में विचार नहीं किया, अब वही एवरेज बिल हमें दे दिए गए जो कि बड़े हुए हैं, पिछले बिल और नए बिल दोनों का आर्थिक बोझ उपभोक्ताओं पर भारी पड़ रहा है, यदि विद्युत वितरण कंपनी और सरकार स्पष्ट करती कि यह विद्युत बिलों की माफी नहीं केवल त्वरित समायोजन है, जिसे बाद में वसूला जाएगा तो सभी उपभोक्ता अपनी सुविधा और व्यवस्था से बिल भर सकते थे, बिल माफ हो गए हैं ऐसा समझकर निश्चिंत हुए उपभोक्ताओं पर यह बिलों की दोहरी मार से उपभोक्ता ठगा सा महसूस कर रहा है, इस विषय पर सभी राजनीतिक दल लगभग मौन है प्रतिनिधियों की यही चुप्पी
उपभोक्ताओं का राजनीतिक दलों के प्रति बेरुखी को उत्पन्न कर रहा है, जिसका की सीधा असर आगामी चुनाव पर पड़ सकता है?