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स्वास्थ्य विभाग देवास द्वारा शीत लहर (Cold Waves) से बचाव अथवा नियंत्रण संबंधी एडवाईजरी जारी।

ByLalit Chavhan

Nov 29, 2024

देवास। 29 नवम्बर 2024/  स्वास्थ्य विभाग द्वारा शीत लहर से बचाव एवं नियंत्रण संबंधी एडवाइजरी जारी की है। प्रायः शीत लहर माह दिसम्बर एवं जनवरी में घटित होती है, जिसके चलते सर्द हवाओं के कारण स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ने के साथ-साथ यदाकदा मृत्यु होना भी संभावित है। देवास जिले में शीतलहर (Cold Waves) से निपटने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किये गए हैं।

       मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सरोजनी जेम्स बेक ने बताया कि शीत लहर का नकारात्मक प्रभाव वृद्धजनों एवं 05 वर्ष के छोटे बच्चों पर अधिक होता है। इसके अतिरिक्त दिव्यांगजनों, बेघर व्यक्तियों, दीर्घकालिक बीमारियों से पीड़ित रोगियों, खुले क्षेत्र में व्यवसाय करने वाले छोटे व्यवसायियों के लिए भी शीतलहर के दौरान विशेष सतर्कता बरतना आवश्यक है, शीत लहर एवं सर्द हवाओं के दौरान घरों में उपयोग किए जाने वाले हीटर/फायर पॉट आदि बंद कमरों में उपयोग करने के कारण कार्बन मोनोइड विषाक्तता का भी खतरा होना संभावित है। उपरोक्त को दृष्टिगत रखते हुए राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण द्वारा राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार करने और शीत लहर और पाले की रोकथाम और प्रबंधन के लिए दिशानिर्देश जारी की गई है ताकि आवश्यक मेडिकल एवं पैरामेडिकल नियंत्रणात्मक कार्यवाही हेतु कार्यवाही की जा सकें।

      सीएमएचओ डॉ. बेक ने बताया कि रेडियो, टी.वी. समाचार पत्रों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर शीत लहर /पाले के मौसम संबंधी पूर्वानुमानों के संबंध में सदैव सजग रहना चाहिए। गर्मवस्त्र एवं कई परतों में कपड़ो का उपयोग किया जाना चाहिए। आकस्मिक स्थितियों के उपाए हेतु घर में रसद एवं अन्य सामग्रियों की व्यवस्था सुनिश्चित करना चाहिए। शीत लहर के दौरान नाक बहना, नाक बंद होना, फ्लू, नाक से खून आने जैसे लक्षण सामान्यतः पाए जाते है, जिसके लिए तत्काल निकटस्थ चिकित्सक से सलाह प्राप्त की जाए। शीत लहर /पाले के दौरान मौसम के पूर्वानुमानों का पालन किया जाए। शीत लहर से बचाव हेतु यथा संभव कम यात्रा करना चाहिए एवं घर के अंदर रहना चाहिए, ऊनी कपड़ों के कई परतों द्वारा सिर, गर्दन, हाथ एवं पैरों की ऊंगलियों का ढ़कना चाहिए, विटामिन-सी युक्त फल एवं सब्जियों का पर्याप्त सेवन करना चाहिए ताकि रोग प्रतिरोधक क्षमता एवं शारीरिक तापमान संतुलित रहे,शारीरिक तापमान को बनाए रखने के लिए गरम तरल पदार्थों का नियमित सेवन करना चाहिए। आस पड़ोस में रहने वाले वृद्धजन एवं बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहिए ।

        सीएमएचओ ने बताया कि सर्तकता भी आवश्यक है बंद कमरों में कोयला-अंगीठी था अलाव का उपयोग से बचना चाहिए क्योंकि इनसे उत्सर्जित खतरनाक कार्बनमोनोऑक्साईड गैस से मृत्यु होना संभावित है। फ्रॉस्टबाईट के लक्षण जैसे ऊगलियों, कान, नाक अथवा पैर की ऊंगलियों की सफेदी या फीकापन शीत लहर के दौरान देखे जा सकते है। फ्रॉस्टबाईट के दौरान कंपकपी आना, बोलने में कठिनाई होना, अधिक नींद आना, मांसपेशियों में अकड़न, सांस लेने में कठिनाई, कमजोरी जैसे लक्षण के साथ-साथ बेहोशी भी हो सकती है। अल्पताप/ हाइपोथर्मियां एक मेडिकल आकस्मिकता है जिसके लिए तुरन्त चिकित्सीय परामर्श लेना चाहिए। अल्पताप /हाइपोथर्मिया के लक्षण होने पर व्यक्ति को तुरंत गर्म कपडेण पहनाए एवं ऊष्ण स्थान पर रखे, शारीरिक तापमान को बनाए रखने के लिए कंबल, टॉवेल, शीट आदि की कई परतों से शरीर को ढंके, गरम पेय पदार्थ देकर शरीरिक तापमान को बढ़ाए लक्षणों के बढ़ने पर तत्काल चिकित्सीय सलाह लें। साथ ही अल्पताप /हाइपोथर्मिया के लक्षण होने पर ध्यान देंवे कि लंबे समय तक ठंड में रहने से बचे, मदिरापान से बचे क्योंकि इससे शारीरिक तापमान घटता है एवं हथेलियों की रक्त धमनियों में संकुचन होने से अल्पताप /हाइपोथर्मिया की अधिक संभावना होती है। फ्रॉस्टवाईट के लक्षण वाले अंगों को न मले, इससे अधिक क्षति हो सकती है। शारीरिक तापमान के घटने का प्रथम लक्षण प्रायः कंपकपी होती है। इसको अनदेखी न करते हुए तत्काल घर के अंदर रहें। अल्पताप /हाइपोथर्मिया से पीड़ित बेहोश व्यक्ति को तरल पदार्थ तब तक न पिलाएं जब तक वह पूरे होश में न हो।