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पर्यावरण प्रेमी शिक्षक शिक्षिका।

ByLalit Chavhan

Sep 5, 2024

 आज शिक्षक दिवस है, शिक्षक दिवस पर गुरु का बड़ा महत्व होता है, शिक्षक के त्याग एवं तपस्या का व्यक्ति निर्माण एवं समाज निर्माण में बड़ा योगदान होता है, आज हम ऐसे ही शिक्षकों से आपको परिचित कराना चाहते हैं। मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के उज्जैन एवं इंदौर में निवासरत, दोनों ही शिक्षक पर्यावरण प्रेमी है, दोनों ही पर्यावरण सुधार के क्षेत्र में विशेष योग्यता रखते हैं। इसीलिए इन दोनों की पर्यावरणीय सुधार क्षेत्र में एक अलग ही विशेष पहचान है, एवं अपना पूर्ण जीवन पर्यावरण के सुधार हेतु समर्पित किया।

पहले बात करते हम श्री मिलिंन पंडित जी की आप उज्जैन के रहने वाले हैं। मिलिंद पंडित जी का शिक्षण सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री के साथ पर्यावरण और प्रदूषण नियंत्रण में स्पेशलाइजेशन है, आप ने रीड एंड टेलर स्कॉटलैंड में भी कार्य किया है, एवं विभिन्न सामाजिक संस्थाओं में वर्षा जल संरक्षण का भी मध्य भारत के कई प्रदेशों के साथ, अफ्रीका के इथोपिया में नील नदी पर कई डैम व मध्य भारत के कई राज्यों एवं अफ्रीका के देश इथोपिया, में कई डैम ब्लू नील नदी पर वहां की एक संस्था के साथ, मिलकर बनाए हैं। कुल ५००० से अधिक डैम, एवं १००००० हैक्टर जलग्रहण क्षेत्र का विकास अलग अलग संथाओंके माध्यम से बनाने का काम किया है। जलगांव महाराष्ट्र की संस्था में पर्यावरण के शिक्षक का काम किया है, एआईसीटीई से संबद्ध नेशनल टेक्निकल टीचर्स ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट चंडीगढ़ , के रेगुलर विजिटिंग फैकल्टी की तरह काम किया है।

 वही शिक्षिका Dr स्वाति संवत्सर की बात करें तो आप इंदौर के रहने वाले है वनस्पति वैज्ञानिक है। वहीं उनकी शैक्षणिक योग्यता  एमएससी, पीएचडी बॉटनी, साथ ही एथनो बॉटनी में पोस्ट डॉक की डिग्री प्राप्त है। गुजराती कॉलेज की प्राध्यापक साथ ही एमजे कॉलेज जलगांव(महाराष्ट्र) में प्राध्यापक का पर्यावरण विषय का अनुभव रखती हैं। पूर्व मे स्वाति जी की पर्यावरण वनस्पति विज्ञान से संबंधी तीन किताबें भी प्रकाशित हो चुकी है। NTTTRI चंडीगढ़ की रेगुलर विजिटिंग फैकल्टी हैं। विगत ३५ वर्षो से ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कार्यरत हैं।

 श्री मिलिंद पंडित एवं श्री स्वाति संवत्सर के द्वारा उज्जैन विक्रम यूनिवर्सिटी कैंपस में दो तालाब का निर्माण कर, साथ ही ७ से ८ एकर में सुक्ष्म सिंचन पद्धति से मियावकी वन हेतु वृक्षारोपण का कार्य किया है। जिसके कारण अच्छे स्तर पर पर्यावरण पुनर्जीवित होने लगा है, इन दोनो तालाबों से ४७ लाख लीटर वर्षा जल एक बार में संग्रहित हुवा है।

फाइनेंशियल रिसोर्सेज का उपयोग कर, जो दो तलाब विक्रम यूनिवर्सिटी उज्जैन कैंपस में बनाए, और करीब करीब २५०० सौ विविध प्रजाति के पौध रोपण किए, और उन्हें माइक्रो इरिगेशन से भी जोड़ा, और सारे क्षेत्र को फेंसिंग भी किया। इन सभी कार्यों का परिणाम अत्यंत सुखद एवं आनन्दायक है। क्योंकि अब जो परिणाम प्रकृति रिवाइवल की तस्वीर दिख रही है, आप भी उसे अनुभव कर सकते हैं इस कार्य में हमारी संस्था रेवाखंड फाउंडेशन एवं स्थानीय वृक्ष रोपण में वृक्ष मित्र संस्था का सहयोग रहा है। 

यह दोनो सरोवर इतनी भूमि पर 47×24.5×2.4m Mandakini sarovar(मंदाकिनी सरोवर) Kusumsarovar58x9x2.8m(कुसुम सरोवर) विकसित किए गए हैं। यह दोनों तलाबो में करीब करीब ४७ लाख लीटर वर्षा जल संग्रहित हो रहा है। जब की पूरे वर्षा काल में अनुमानित तीन बार भरने की संभावना है। इन तालाबों के बनने से वहां के भूमिगत जल में भी वृद्धि होगी।

 जहां जलवायु परिवर्तन को लेकर जहां पूरा विश्व चिंतित हैं, ऐसे में इन दोनों शिक्षकों के द्वारा अपना जीवन पर्यावरण को समर्पित करना बड़ी बात है। पर्यावरण के प्रति प्रेम रखने वाले ऐसे सम्मानीय शिक्षकों को डी एल सी(DLC) परिवार की ओर से प्रणाम एवं शिक्षक दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।