देवास। नगर औद्योगिक नगरी के रूप में प्रदेश में एक विशेष पहचान रखता है, जहां पर भी औद्योगिक इकाइयां स्थापित होती है ,वहां पर निश्चित रूप से पर्यावरण को क्षति पहुंचती है! जब भी कोई औद्योगिक क्षेत्र विकसित होता है तो पर्यावरणीय दृष्टिगत घने वृक्षो के रोपण हेतु एवं बड़े उद्यानों हेतु जमीन आरक्षित की जाती है, ताकि जो वायुप्रदूशीत इकाइयां है उनका प्रदूषण औद्योगिक क्षेत्र से बाहर नहीं जा पाए एवं उसका प्रभाव रहवासी क्षेत्रों तक ना पहुंच पाए इसीलिए औद्योगिक क्षेत्र में बड़े स्तर पर वृक्षारोपण एवं पर्यावरण की दृष्टिगत अधिक जमीन वृक्षारोपण हेतु आरक्षित रखी जाती है।
इंदौर रोड औद्योगिक क्षेत्र में वृक्षों हेतु आरक्षित भूमि कई स्थानो पर आज भी खाली पड़ी है।
जैसे कि टाटा चौराहा से गेब्रियल इकाई तक जो मार्ग जा रहा है ,उसके समानांतर वृक्ष हेतु आरक्षित भूमि रिक्त पड़ी है। उक्त रिक्त पड़ी भूमि पर औद्योगिक क्षेत्र में कार्यरत इकाइयों के द्वारा वहां पर वृक्षारोपण को प्राथमिकता देना चाहिए।
इसी तरह राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी कई किलोमीटर तक वृक्षों हेतु आरक्षित भूमि खाली पड़ी है।
इंदौर रोड रसूलपुर चौराहा से लेकर उज्जैन रोड नागूखेड़ी तक राष्ट्रीय राजमार्ग बाईपास पर रोड के समांतर दाएं एवं बाय 45 45 मीटर भूमि वृक्षों हेतु आरक्षित है, जो कि कई वर्षों से खाली पड़ी है, यहां पर भी प्राथमिकता से वृक्षारोपण होना चाहिए जिससे कि शहर के पर्यावरणीय स्थिति में सुधार होगा वही तापमान में कमी आएगी।