बूंद बूंद के लिए तरसते बेंगलुरु के कुछ क्षेत्र से हमें सबक लेने की आवश्यकता है, हम पानी को केवल बचा सकते हैं उसका निर्माण नहीं कर सकते यह तो सभी जानते हैं, लेकिन नगर निगम की व्यवस्था में जिस प्रकार से होल है वैसे ही जल वितरण के टैंकरों में भी इतने छेद है की गंतव्य तक पहुंचते पहुंचते टैंकर खाली ही हो जाता होगा? जल अभावग्रस्त घोषित देवास में जल संचय पर तो कुछ काम हुआ नहीं? कम से कम जल वितरण के संसाधनों में जो छेद है उन्हें दुरुस्त कर लेना चाहिए, नगर सरकार में मेयर इन काउंसलिंग सदस्य पार्षद श्री शीतल गहलोत द्वारा गंभीरता एवं अपने पद के प्रति समर्पित भाव दिखाते हुए अपने वेतन से टैंकर को सुधरवाने का आग्रह निगम प्रशासन के संबंधित सभी अधिकारियों से किया गया है पत्र के माध्यम से वह नगर निगम की व्यवस्था पर एक प्रश्न चिन्ह है, जलवायु परिवर्तन में जहां केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार चिंतित है और पानी के संचय पर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है उसके विपरीत देवास में मां नर्मदा के आशीर्वाद स्वरुप मिलने वाले पानी का दुरुपयोग टैंकर में नहीं नगर निगम की व्यवस्था में छेद को दर्शाता है
इस दर पर निगम देवास खरीदता है पानी नर्मदा विकास प्राधिकरण से
नगर निगम देवास नर्मदा शिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना से जो पानी शिप्रा बैराज में लेता है उस पानी का दर प्रति हजार लीटर 22 ₹ 60 पैसे हैं जबकि निगम देवास को यह पानी मात्र 20 पैसे प्रति हजार लीटर के हिसाब से मिलना चाहिए था।
नर्मदा विकास प्राधिकरण के पानी की इतनी राशि बकाया है निगम देवास पर।
नर्मदा विकास प्राधिकरण निगम देवास को अभी तक पानी का जो बिल दिया है वह तकरीबन 520 करोड रुपए से अधिक का दे चुका है जबकि निगम देवास को जलकर की राशि के रूप में जो राजस्व प्राप्त करता है वह तकरीबन 7.50 करोड रुपए ही प्राप्त होता है वार्षिक। वही निगम प्रशासन जरूर शासन से मांग कर रहा है रहा कि हमने इतने पानी का उपयोग ही नहीं करा है जितनी राशि का हमें बिल दिया गया है।
निगम देवास के द्वारा निर्मित शिप्रा बैराज से पानी लेती है निजी संस्था जिसकी वजह से समय से पहले ही खत्म हो जाता है बैराज में पानी।
देवास। नगर निगम देवास के द्वारा देवास नगर के आमजन की सुविधा के लिए शिप्रा नदी पर बनाए गए बैराज में वर्षा कालीन पानी को एकत्रित किया जाता है जो की निजी संस्था देवास वाटर प्रोजेक्ट के द्वारा भी बैराज से पानी लेने की वजह से कई महापूर्वा ही वह पानी खत्म हो जाता है जिसकी वजह से निगम देवास को नर्मदा विकास प्राधिकरण से जनवरी माह के शुरुआत से ही पानी खरीदना पड़ता है जो की प्रति माह पानी की राशि करोड़ों में होती है निजी संस्था देवास वाटर प्रोजेक्ट की वजह से निगम देवास पर अवांछित आर्थिक बोझ पड़ रहा है ज्ञात रहे राज्य शासन ने निजी संस्था को शिप्रा बैराज की निशुल्क उपयोग करने की अनुमति दी हैं।