देवास। निगम देवास नगर के आमजन की जल आपूर्ति राजानल तालाब, शिप्रा बैराज, और कुछ नलकुपो (बोरवेल) के द्वारा की जाती है। जिसमें नगर की जल आपूर्ति में शिप्रा बैराज महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
निगम देवास के द्वारा शिप्रा बैराज में वर्षा कालीन एकत्रित किया गया पानी, निजी संस्था के द्वारा लेने की वजह से कई महा पूर्व ही बैराज में खत्म हो जाता है।
गौर करने वाली बात यह है कि जब से निजी संस्था देवास वाटर प्रोजेक्ट के द्वारा शिप्रा बैराज से पानी लिए जाने की शुरुआत की तब से बैराज में एकत्रित किया गया वर्षा कालीन पानी कई माह पूर्व ही खत्म हो जाता है, जिसकी वजह से निगम देवास को नर्मदा विकास घाटी प्राधिकरण से जनवरी महा से ही पानी की डिमांड करना पड़ती है ,और करोड़ों रुपए का पानी खरीदना पड़ता है। जिसकी वजह से निगम देवास पर अवांछित आर्थिक बोज पड़ रहा है, ज्ञात रहे की निजी संस्था को शिप्रा बैराज की निशुल्क उपयोग करने की अनुमति राज्य शासन के द्वारा दी गई है।
निगम प्रशासन एवं नगर सरकार के जनप्रतिनिधियों ने मिलकर जल संचय की योजना पर कार्य करना चाहिए।
निगम देवास के द्वारा वर्षों पूर्व में लोधरी नदी पर परियोजना बनाई गई थी ,जिसमें करोड़ रुपए की राशि की स्वीकृति भी मिली थी ,उस योजना के लिए उसी समय शिप्रा बैराज का भी निर्माण हो रहा था ,इस हेतु निगम प्रशासन के द्वारा लोधरी नदी पर बनीं परियोजना बंद कर राशि परिवर्तित कर शिप्रा बैराज में उस राशि का उपयोग किया गया ,जिसकी वजह से लोधरी परियोजना बंद हो गई । उस लोधरी परियोजना को निगम देवास के द्वारा पुनः चालू करना चाहिए ,ताकि निगम देवास को नर्मदा विकास प्राधिकरण से इतना महंगा पानी खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी । निगम के ऊपर आर्थिक बोझ भी नहीं पड़ेगा और नगर की बढ़ रही जनसंख्या के अनुसार जल आपूर्ति में भी कोई समस्या नहीं आएगी । साथ ही लोधरी परियोजना के बनने से आसपास के भूमि गत जल स्तर में भी वृद्धि होगी।
राज्य शासन से क्षतिपूर्ति की मांग करना चाहिए।
शिप्रा बैराज में वर्षा कालीन पानी का उपयोग जो निजी संस्था के द्वारा भी किया गया है ,उस पानी कि राशि की मांग क्षतिपूर्ति के रूप में राज्य शासन से निगम प्रशासन एवं नगर सरकार ने करना चाहिए, साथ ही शिप्रा बैराज के संधारण पर निगम की जो राशि खर्च हो रही है उसकी भी मांग करना चाहिए।